The muscles of the back can be divided into three groups – superficial, intermediate and deep: Superficial – associated with movements of the shoulder. Intermediate – associated with movements of the thoracic cage. Deep – associated with movements of the vertebral column. The deep muscles develop embryologically in the back, and are thus described as intrinsic muscles. The superficial and intermediate muscles do not develop in the back, and are classified as extrinsic muscles. This article is about the anatomy of the superficial back muscles – their attachments, innervations and functions. The superficial back muscles are situated underneath the skin and superficial fascia. They originate from the vertebral column and attach to the bones of the shoulder – the clavicle, scapula and humerus. All these muscles are therefore associated with movements of the upper limb. The muscles in this group are the trapezius, latissimus dorsi, levator scapulae and the rhomboids. The trapezius
आज की जीवनशैली में घुटनों के दर्द की समस्या आम होती जा रही है। विशेषज्ञ बताते हैं कि इस दर्द पर समय पर काबू पाना जरूरी होता है, क्योंकि यह केवल घुटनों की ही नहीं, बल्कि आपकी रीढ़ की भी सेहत खराब कर सकता है। घुटनों के दर्द से कैसे पाएं निजात, जानकारी देता आलेख
आजकल घुटनों के दर्द की परेशानी हर किसी को होने लगी है, फिर चाहे 30-40 साल के नौजवान हों या फिर 50 साल की उम्र या इससे ज्यादा उम्र के बुजुर्ग। देखने वाली बात यह है कि दोनों ही उम्र के लोग सही समय पर अपना इलाज नहीं कराते। तो आइये जानते हैं, लोग इलाज में देरी क्यों करते हैं और इसके क्या नुकसान होते हैं-
खुद ही पेनकिलर लेना : भारतीयों में सबसे बड़ी समस्या यह है कि शरीर के किसी भी हिस्से मंे दर्द हो, तो पहले खुद ही घर पर रखी दवा या केमिस्ट से पूछकर पेनकिलर ले लेते हैं। इससे कुछ समय के लिए दर्द तो कम हो जाता है, लेकिन यह कोई स्थायी इलाज नहीं है। कई बार बिना डॉक्टर की सलाह लिए पेनकिलर लेना शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है। लगातार पेनकिलर लेने से लिवर और किडनी के साथ अन्य अंग भी प्रभावित होते हैं। दवा काम करना बंद कर देती है।
भ्रामक विज्ञापनों के जरिए इलाज करना : टीवी और अखबार में कई तरह के तेल से जुड़े भ्रामक विज्ञापनों में आथ्र्राइटिस का इलाज बताया जाता है, लेकिन तथ्य यह है कि अगर घुटने के कार्टिलेज घिसने लगते हैं, तो उन्हें दोबारा ठीक नहीं किया जा सकता। केेेवल फिजियोथेरेपी और जीवनशैली में बदलाव करके कार्टिलेज के घिसने की गति को रोका जा सकता है। इन विज्ञापनों के चक्करांे मंे पड़कर मरीज अपने घुटनों को ज्यादा खराब कर लेते हैं। इसलिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि जब आपके घुटनों में बहुत ज्यादा दर्द रहने लगे और उनमें सुबह के समय सूजन महसूस हो, तो जल्द फिजियोथेरेपी डॉक्टर से सलाह लें। अगर आप समय पर डॉक्टर से सलाह लेते हैं, तो वह आपके घुटनों के दर्द को काफी हद तक कम कर देते हैं।
भ्रामक विज्ञापनों के जरिए इलाज करना : टीवी और अखबार में कई तरह के तेल से जुड़े भ्रामक विज्ञापनों में आथ्र्राइटिस का इलाज बताया जाता है, लेकिन तथ्य यह है कि अगर घुटने के कार्टिलेज घिसने लगते हैं, तो उन्हें दोबारा ठीक नहीं किया जा सकता। केेेवल फिजियोथेरेपी और जीवनशैली में बदलाव करके कार्टिलेज के घिसने की गति को रोका जा सकता है। इन विज्ञापनों के चक्करांे मंे पड़कर मरीज अपने घुटनों को ज्यादा खराब कर लेते हैं। इसलिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि जब आपके घुटनों में बहुत ज्यादा दर्द रहने लगे और उनमें सुबह के समय सूजन महसूस हो, तो जल्द फिजियोथेरेपी डॉक्टर से सलाह लें। अगर आप समय पर डॉक्टर से सलाह लेते हैं, तो वह आपके घुटनों के दर्द को काफी हद तक कम कर देते हैं।
घुटनों के दर्द को बढ़ती उम्र से जोड़ना : जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, लोग घुटनों के दर्द को उम्र से जोड़ने लगते हैं। इसलिए वे डॉक्टर से सलाह लेने की जरूरत ही नहीं समझते। जब बीमारी बढ़कर रोज के काम करने में दिक्कत पैदा करने लगती है, तब वे डॉक्टर के पास जाते हैं। इसलिए अगर आपके घुटनों में दर्द हो, तो उम्र के बारे में सोचे बगैर जल्द से जल्द डॉक्टर से मिलें।
इलाज में देरी से बढ़ सकती है समस्या
’घुटनों का दर्द रीढ़ की हड्डी को भी क्षतिग्रस्त कर सकता है। घुटनों के दर्द की वजह से मरीज सही तरीके से नहीं चल पाते और लगातार गलत पॉस्चर में चलने से रीढ़ की हड्डी प्रभावित होने लगती है। ’लगातार पेनकिलर लेने से किडनी और लिवर के साथ शरीर के कई अंगों को नुकसान होता है। ’रोगी के बिस्तर पर आने से डायबिटीज, हाई ब्लडप्रेशर, मोटापा जैसी बीमारियों की आशंका बढ़ जाती है। ’दिनभर बिस्तर पर रहने से अवसाद की आशंका बढ़ जाती है।
’घुटनों का दर्द रीढ़ की हड्डी को भी क्षतिग्रस्त कर सकता है। घुटनों के दर्द की वजह से मरीज सही तरीके से नहीं चल पाते और लगातार गलत पॉस्चर में चलने से रीढ़ की हड्डी प्रभावित होने लगती है। ’लगातार पेनकिलर लेने से किडनी और लिवर के साथ शरीर के कई अंगों को नुकसान होता है। ’रोगी के बिस्तर पर आने से डायबिटीज, हाई ब्लडप्रेशर, मोटापा जैसी बीमारियों की आशंका बढ़ जाती है। ’दिनभर बिस्तर पर रहने से अवसाद की आशंका बढ़ जाती है।
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