The muscles of the back can be divided into three groups – superficial, intermediate and deep: Superficial – associated with movements of the shoulder. Intermediate – associated with movements of the thoracic cage. Deep – associated with movements of the vertebral column. The deep muscles develop embryologically in the back, and are thus described as intrinsic muscles. The superficial and intermediate muscles do not develop in the back, and are classified as extrinsic muscles. This article is about the anatomy of the superficial back muscles – their attachments, innervations and functions. The superficial back muscles are situated underneath the skin and superficial fascia. They originate from the vertebral column and attach to the bones of the shoulder – the clavicle, scapula and humerus. All these muscles are therefore associated with movements of the upper limb. The muscles in this group are the trapezius, latissimus dorsi, levator scapulae and the rhomboids. The trapezius
ऑटोइम्यून बीमारी का प्रकोप वर्तमान में बहुत फैला हुआ है, आंकड़ों की तुलना करें तो 50 लाख से अधिक लोग इससे प्रभावित हैं। ज्यादातर 65 साल की उम्र के बाद होने वाली यह बीमारी महिलाओं की मौत के 10 प्रमुख कारणों में से एक है।
ऑटोइम्यून बीमारी शरीर के पूरे अंगों को प्रभावित करती है, इसके कई उदाहरण हैं जैसे - रूमेटाइड अर्थराइटिस, टाइप1 डायबिटीज, थायराइड समस्या, ल्यूपस, सोराइसिस, जैसी कई बीमारियां इसमें आ सकती हैं। इस लेख में इस बीमारी और इसके लक्षणों के बारे में जानिए।
क्या है ऑटोइम्यून रोग
ऑटोइम्यून ऐसा रोग है जिसमें कई
बीमारियां आती हैं, यह शरीर के कई अलग-अलग अंगों को प्रभावित करता है। इस
बीमारी में शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है और यह बीमारियों
को रोकने के बजाय शरीर पर खुद हमला करता है। दरअसल हमारी प्रतिरक्षा
प्रणाली हमारे शरीर को बीमारियों से बचाती है और खतरनाक रोगों से शरीर की
रक्षा भी करती है। लेकिन इस बीमारी में प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती
है।
ऑटोइम्यून बीमारी तब होती है जब शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों, संक्रमणों, और खाने में मौजूद विशुद्धिओं को दूर करने के लिए हमारी प्रतिरोधक क्षमता संघर्ष करती है। इस बीमारी के होने के बाद शरीर के ऊतक ही शरीर को बीमार और कमजोर बनाते हैं।
ऑटोइम्यून बीमारी तब होती है जब शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों, संक्रमणों, और खाने में मौजूद विशुद्धिओं को दूर करने के लिए हमारी प्रतिरोधक क्षमता संघर्ष करती है। इस बीमारी के होने के बाद शरीर के ऊतक ही शरीर को बीमार और कमजोर बनाते हैं।
ऑटोइम्यून बीमारी के लक्षण
- जोड़ों में दर्द होना
- मांसपेशियों में दर्द और कमजोरी होना
- वजन में कमी होना
- अनिद्रा की शिकायत होना
- दिल की धड़कन अनियंत्रित होना
- त्वचा का अतिसंवेदनशील होना, त्वचा पर धब्बे पड़ना
- दिमाग ठीक से काम न करना, ध्यान केंद्रित करने में समस्या
- हमेशा थका हुआ अनुभव करना
- बालों का झड़ना, पेट में दर्द होना, मुंह में छाले होना
- हाथ और पैरों में झुनझुनी होना या सुन्न हो जाना
- रक्त के थक्के जमना
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